परजीवी,परभक्षी व रोगाणुओं के अलावा मिलीबग के दुश्मन परजीव्याभ भी होते हैं। परजीव्याभ अपने आश्रयदाता से छोटे होते हैं तथा अपना जीवन चक्र पुरा करने के लिए एक ही आश्रयदाता की भेंट लेते हैं। जिला जींद में निडाना के किसानों ने ऐसी ही एक परजीव्याभ संभीरका राजेश पुत्र महाबीर के खेत में कपास के पौधों पर मिलीबग के पेट में पलती हुई पकड़ी है। इसका नाम उन्होंने अंगीरा रखा है। अंगीरा का प्रौढ़ तो स्वतन्त्र जीवन जीता है पर इसकी बाल्यवस्था मिलीबग के पेट में पुरी होती है। आपको मालूम हो कि यह सम्भीरका मिलीबग के पेट में अपने अंडे से लेकर प्रौढ़ होने तक तक़रीबन पंद्रह दिन का समय लेती है। इस प्रक्रिया में मिलीबग को मिलती है -मौत। मिलीबग को परजीव्याभीत करने वाले इस भीरडनुमा जन्नौर को वैज्ञानिक अपनी भाषा में इसे एनासिय्स कहते है।
Wednesday, February 25, 2009
जच्चा बच्चा का स्वास्थ्य
Thursday, February 5, 2009
सरसों की फसल में अल के शिकारी
एफिडियस नामक सम्भीरका द्वारा परजीव्याभित चेपा :रंग बदला हुआ,शरीर फूला एवं पथराया हुआ।
फफुन्दीय रोगाणु द्वारा संक्रमित मरनासन चेपा 
चेपे की पीठ पर सिरफ़डो का अंडा 
लेडीबीटल का प्रौढ़ 
सरसों की फसल में अल/चेपा के आक्रमण के साथ ही लेडिबीटल्ज/ मनयारियों ने अपनी वंश वृद्धि के लिए अंडे देने शुरू कर दिए ताकि उनके नवजातों को चेपा के रूप में नर्म मांसाहार मिल जाए। 
सिरफ़डो मक्खी कहाँ पीछे रहने वाली थी। उसने भी चेपे की कालोनियों में अंडे दिए।इन अण्डों में से इसका शिशु निकल कर चेपा खाते हुए।
सिरफ़डो मक्खी कहाँ पीछे रहने वाली थी। उसने भी चेपे की कालोनियों में अंडे दिए।इन अण्डों में से इसका शिशु निकल कर चेपा खाते हुए।
Monday, February 2, 2009
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