Wednesday, February 25, 2009

अंगीरा-किसान का स्वभाविक मित्र

परजीवी,परभक्षी व रोगाणुओं के अलावा मिलीबग के दुश्मन परजीव्याभ भी होते हैं। परजीव्याभ अपने आश्रयदाता से छोटे होते हैं तथा अपना जीवन चक्र पुरा करने के लिए एक ही आश्रयदाता की भेंट लेते हैं। जिला जींद में निडाना के किसानों ने ऐसी ही एक परजीव्याभ संभीरका राजेश पुत्र महाबीर के खेत में कपास के पौधों पर मिलीबग के पेट में पलती हुई पकड़ी है। इसका नाम उन्होंने अंगीरा रखा है। अंगीरा का प्रौढ़ तो स्वतन्त्र जीवन जीता है पर इसकी बाल्यवस्था मिलीबग के पेट में पुरी होती है। आपको मालूम हो कि यह सम्भीरका मिलीबग के पेट में अपने अंडे से लेकर प्रौढ़ होने तक तक़रीबन पंद्रह दिन का समय लेती है। इस प्रक्रिया में मिलीबग को मिलती है -मौत। मिलीबग को परजीव्याभीत करने वाले इस भीरडनुमा जन्नौर को वैज्ञानिक अपनी भाषा में इसे एनासिय्स कहते है।

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